यह कहानी है एक ऐसे लड़के की, जो मन से लड़की है लेकिन शरीर से पुरुष। उसे गुलाबी रंग पसंद है, चूड़ियां पहनना भाता है, और लड़कियों की तरह जीवन जीने की इच्छा है।
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लेकिन समाज की बनाई दीवारें उसके सपनों के आड़े आ रही हैं। वह इन दीवारों को तोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। उसे हमेशा यह डर सताता है, "लोग क्या कहेंगे?" बचपन से ही वह कविताएं लिखता आया है। उसे लड़के पसंद हैं, लेकिन LGBTQ समुदाय के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। वह खुद को ट्रांसजेंडर के रूप में पहचानने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है।
गौरी के व्यक्तिगत जीवन में, वह बराक ओबामा को अपने पिता समान मानती हैं। उनके विचारों और व्यक्तित्व ने गौरी को हमेशा प्रेरणा दी है। साथ ही, जस्टिन बीबर उनके पहले क्रश हैं, और वह अपनी कविताओं में उनके प्रति अपने प्रेम और आदर को अभिव्यक्त करना चाहती हैं।
फिर, एक घटना उसकी जिंदगी को पूरी तरह बदल देती है।
तीस साल तक समाज के बंधनों में जकड़े रहने के बाद, उसने आखिरकार इन बेड़ियों को तोड़ने का फैसला किया। अब उसे समाज के विचारों की परवाह नहीं है। उसने तय कर लिया है कि वह अब एक लड़की के रूप में अपना जीवन जिएगा।
गौरी का पुरुष नाम गोरोबा शंकरराव गुराले है। गौरी ने केवल 12वीं तक पढ़ाई की है। वह महाराष्ट्र के लावुर नामक एक छोटे से गांव की रहने वाली है।
आज, गौरी ने अपने भीतर की पहचान को स्वीकार कर लिया है और अपने सपनों को जीने की राह पर चल पड़ी है।
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सबसे पहले, कवयित्री गौरी पीच ब्लिंक पब्लिशर्स का उनकी पुस्तक को प्रायोजित करने के लिए धन्यवाद करती हैं। वह LGBTQ समुदाय से संबंधित हैं और इस पुस्तक के माध्यम से अपने जीवन के संघर्षों और भावनाओं को साझा कर रही हैं।
गौरी ने कहा है कि उनकी कविताओं का उद्देश्य LGBTQ समुदाय का गौरव बढ़ाना है। उन्होंने उल्लेख किया कि एक पुरुष शरीर में रहते हुए, लेकिन महिला मन के साथ जीते हुए, उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों को कविताओं के रूप में व्यक्त किया है।
गौरी, जस्टिन बीबर को अपना पहले क्रश और बराक ओबामा के प्रति अपने पिता जैसे सम्मान को प्रस्तुत करती है।
गौरी वर्तमान में बड़ौदा में रहती हैं।
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गौरी शंकरराव गुराले
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